नाना पाटेकर का जीवन !
नाना पाटेकर भारत के एक मशहूर अभिनेता, लेखक और फिल्म निर्माता है। वे बॉलीवुड में अभिनेता के तौर पर “एंग्री यंगमैन” के रूप में एक ख़ास पहचान हैं। फिल्म
और कला के क्षेत्र में अपने अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें आज तक कई बार राष्ट्रीय
फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका हैं। उन्हें
भारत सरकार सरकार ने भारत के चौथे सर्वोच्च अवार्ड पद्म श्री से भी सम्मानित किया
है। वे इंडस्ट्री में अपने डॉयलाग को बोलने की स्टाइल को लेकर काफी मशहूर हैं।
उनके अभिनय के दीवाने आपको हर आयु वर्ग में मिल जाएंगे।
नाना पाटेकर का संछिप्त
परिचय !
पूरा नाम
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विश्वनाथ नाना पाटेकर (Vishwanath
Nana Patekar)
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जन्म दिनांक
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1 जनवरी,
1951 मुरुड-जंजिरा, महाराष्ट्र
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पिता का नाम
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दिनकर पाटेकर
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माता का नाम
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संजनाबाई पाटेकर
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राष्ट्रीयता
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भारतीय
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शिक्षा
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स्नातक
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पत्नी
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नीलकंठी पाटेकर
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संतान
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मल्हार पाटेकर
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कार्य क्षेत्र
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सिनेमा जगत
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विशेष योगदान
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नाना पाटेकर ने अपने साथी
मकरंद अनासपुरे के साथ मिलकर “नाम फाउंडेशन” की स्थापना की, जो किसानों की मदद करती है।
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पुरस्कार-उपाधि
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पद्म श्री (2013)
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फ़िल्मों में नाना पाटेकर ने विलेन, लीड, कॉमिक हर तरह के रोल में अपनी श्रेष्ठता की छाप
छोड़ी है। वे हिंदी फिल्मो के आलावा मराठी फिल्मो में भी काम करते है। बेस्ट एक्टर,
बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर और बेस्ट विलन की श्रेणी में फिल्मफेयर
अवार्ड जीतने वाले वे एकमात्र अभिनेता है। वे सामाजिक
कार्य मे भी बड़-चढ़ के हिस्सा लेते हैं। उन्होंने किसानों की सहायता करने के लिए
अपने साथी मकरंद अनासपुरे के साथ मिलकर “नाम फाउंडेशन”
की स्थापना की, जो किसानों की मदद करती है।
नाना पाटेकर का प्रारंभिक
जीवन !
नाना पाटेकर का जन्म 1 जनवरी 1951 को एक मराठी परिवार में रूड-जंजीरा, रायगढ़, महाराष्ट्र में हुआ। उनका असली नाम विश्वनाथ पाटेकर है लेकिन फिल्मो में इन्हें नाना पाटेकर के नाम से जाना जाने लगा। नाना पाटेकर के पिता दिनकर पाटेकर कपड़े के व्यापारी और माँ संजनाबाई पाटेकर एक गृहणी थी। नाना पाटेकर ने अपनी स्नातक की पढाई मुंबई में की। वे मुंबई के सर जे.जे. इंस्टिट्यूट ऑफ़ एप्लाइड आर्ट के वे भूतपूर्व छात्र भी थे।
नाना पाटेकर की शादी नीलकंठी पाटेकर से
हुई और उनका एक बेटा मल्हार पाटेकर है लेकिन वैवाहिक जीवन में समस्याओ के चलते
उनका बाद में तलाक हो गया।
नाना पाटेकर के करियर
की शुरुआत !
नाना पाटेकर ने शुरू में कई सालो तक थिएटर में काम किया। फ़िल्मों में उनकी शुरुआत 1974 में मुज्जफर अली द्वारा निर्देशित फ़िल्म ‘गमन’ से हुई। इस फिल्म के बाद उन्होंने मराठी सिनेमा में बहुत से छोटे-मोटे काम किए। साथ ही ब्रिटिश टेलीविज़न सीरीज लार्ड माउंटबेटन : दी लास्ट विक्ट्री में उन्होंने नाथूराम गोडसे की भूमिका भी निभाई थी। इसके बाद उन्होंने ‘मोहरे’ (1987) और ‘सलाम बॉम्बे’ (1988) फ़िल्मों में काम किया।
हालाँकि नाना के करियर की शुरूआत फिल्म
‘गमन’ से हुई थी लेकिन इंडस्ट्री में उन्हें फिल्म
‘परिंदा’ से नोटिस किया गया जिसमें उन्होंने
खलनायक की भूमिका अदा की थी। इस फिल्म में उनके अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ
सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का
फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिया गया।
इसके बाद अपनी फिल्म ‘प्रहार (1991)’ से वे डायरेक्टर भी बने, जिसमे उनके साथ माधुरी दीक्षित ने काम किया था और उस फिल्म में उन्होंने भारतीय आर्मी ऑफिसर का रोल
निभाया था। इसके बाद 1992 में ‘अंगार’
फिल्म में अभिनय के लिए
बेस्ट विलेन का अवार्ड मिला। उस समय बॉलीवुड इंडस्ट्री के
सुपरस्टार राज कुमार के साथ उन्होंने फिल्म ‘तिरंगा (1993)’
में काम किया था।
1994 में उनकी फिल्म ‘क्रान्तीवीर’ के लिए उनको नेशनल फिल्म अवार्ड फॉर
बेस्ट एक्टर और स्टार स्क्रीन अवार्ड भी मिला था।। इस फिल्म में उनके दमदार डायलाग
को भुलाया नहीं जा सकता। 1995 में बच्चो वाली फिल्म ‘अभय’ में उन्होंने भुत का किरदार भी निभाया, जिसने 1995 के 42 वे नेशनल
फिल्म फेस्टिवल में 2 अवार्ड भी जीते थे। इसी साल ऋषि कपूर के साथ सह-कलाकार के रूप में फिल्म ‘हम दोनों (1995)’ की।
इसके बाद 1996 में आई फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में
उन्होंने पत्नी को पीटने वाले पति का किरदार निभाया और उसी साल फिल्म ‘यशवंत’ में मनीषा कोइराला के बहरे पिता का किरदार और
1998 में आई फिल्म ‘वजूद’ में सिजोफ्रेनिक का किरदार भी निभाया था। 1999 में
फिल्म ‘कोहराम’ में उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ सह-कलाकार के रूप में काम
किया, इस फिल्म में उन्होंने ख़ुफ़िया भारतीय आर्मी के
इंटेलिजेंस ऑफिसर का किरदार निभाया था, जो फिल्म में गुप्त
रूप से बच्चन की तलाश करते है।
90 के दशक की उनकी
प्रसिद्ध फिल्मो में युगपुरुष (1998) और हुतुतु (1999)
भी शामिल है। इसके बाद उन्होंने आदित्य पांचोली के साथ क्राइम
ड्रामा फिल्म ‘तरकीब (2000)’ में
सीबीआई डायरेक्टर के रूप में काम करना शुरू किया था। हालाँकि इसके बाद वे एक साल
तक फिल्मो से गायब हो गए। लेकिन 2002 फिल्म ‘शक्ति’ से फिर वापसी की, इसमें
वे गुस्सैल पिता का किरदार निभाया था।
2004 में फिल्म ‘छप्पन’ में उन्होंने एक पुलिस ऑफिसर का किरदार
निभाया था, जो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट था। ‘अपहरण (2005)’ में उनके अभिनय के लिये उन्होंने
बेस्ट विलन की श्रेणी का दूसरा फिल्मफेयर बेस्ट विलन अवार्ड जीता और साथ ही स्टार
स्क्रीन अवार्ड भी जीता था।
इसके बाद ‘टैक्सी नं. 9211 (2006)’ में उन्होंने टैक्सी
ड्राईवर की भूमिका निभाई थी। नाना पाटेकर ने पहली बार 2007 में
बनी फिल्म ‘वेलकम’ में हास्य अभिनेता
का किरदार निभाया जिसमे वो दुबई के जाने माने गैंगस्टर का रोल निभाते है जो हिंदी
फिल्मो में काम करना चाहता है।
2010 में शाहिद कपूर के साथ फिल्म ‘पाठशाला’ की, जिसमे वे स्कूल
के हेडमास्टर का रोल किया। साथ ही प्रकाश झा की मल्टी-स्टारर राजनीतिक ड्रामा
फिल्म ‘राजनीती (2010)’ में उन्होंने
अपने अभिनय से लोगो को आकर्षित किया। इस फिल्म में रणवीर
कपूर, अजय देवगन, कटरीना कैफ थी।
इसके बाद उनकी अगली फिल्म राम गोपाल
वर्मा की ‘दी अटैक्स ऑफ़ 26/11 (2013)’ थी,
जो 2008 के मुंबई अटैक पर आधारित है, जिसमे पाटेकर ने उस समय के जॉइंट पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया का रोल
निभाया था। 2015 में उन्होंने ‘वेलकम
बैक’ और ‘छप्पन 2’ में काम किया। ये दोनों फिल्म सीक्वल थी।
नाना ने कई मराठी नाटकों और फ़िल्मों
में भी काम किया। जिनमे शागिर्द, देउल, डॉ.
प्रकाश बाबा आमटे – दी रियल हीरो, अप्पा
शामिल हैं। इन सबके अलावा दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले “जंगल
बुक” कार्टून शो में नाना ने शेरख़ान की आवाज़ दी। साथ ही ‘दी जंगल बुक (2016)’ हॉलीवुड मूवी के हिंदी वर्जन
में शेरेखान नाम के किरदार की आवाज़ भी उन्ही की है।
नाना पाटेकर पुरुस्कार
सम्मानित !
- 1990 – फिल्म परिंदा के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल फिल्म अवार्ड।
- 1997 – फिल्म अग्नि साक्षी के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल फिल्म अवार्ड।
- 1990 – फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार फिल्म परिंदा के लिये।
- 1995 – फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता क्रांतिवीर।
- 2006 – फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिये फिल्म अपहरण।
- 2013 – पद्दमश्री।
नाना पाटेकर की Hits
फिल्मे !
गमन, सिहांसन, भालू, रघु मैना, सावत्री, आज की आवाज, अंकुश, फांसी का फंदा, सूत्रधार, मोहरे, अँधा युद्ध, प्रतिघात, सलाम बॉम्बे, परिंदा,थोड़ा सा रूमानी हो जाये, प्रहार, दिशा, तिरंगा, राजू बन गया जेंटलमैन, अंगार, क्रांतिवीर, अभी खामोशी, गुलाम ए मुस्तफा, यशवंत, युगपुरुष, कोहराम, गंग, तरकीब, वध, शक्ति द पॉवर, भूत, आंच, अब तक छप्पन, अपहरण, वेलकम, यात्रा, फूल, हॉर्न ओके प्लीज, पाठशाला, राजनीति, यक्ष, कमाल धमाल और मालामाल, हंगामे पे हंगामा, अब तक छप्पन-2, वेलकम बेक, नत्समारत
नाना पाटेकर के कुछ
प्रसिद्ध डायलॉग्स !
फिल्म ‘क्रांतिवीर’
- आ गए मेरी मौत
का तमाशा देखने.
- ये मुसलमान का
खून हैं और ये हिन्दू का खून हैं … बता इसमें मुसलमान कोण सा हैं
और हिन्दू कोण सा हैं बता.
- साला अपने देश
में एक सुई नहीं बना सकते …. और हमारा देश तोड़ने का सपना देखते हैं.
फिल्म यशवंत
- एक मच्छर साला
आदमी को हिजड़ा बना देता हैं देश महान.
- सौ में से
अस्सी बेईमान,
फिर भी मेरा.
फिल्म तिरंगा
- अपना तो उसूल
हैं … पहले लात फिर बात उसके बाद मुलाकात
- मराठा या तो
मारता हैं या तो मरता हैं
- कौन सा कानून, कैसा
कानून
वेलकम
- ये शरीफ लोग
बहुत बदमाश होते हैं …..
शराफत की जुबान नहीं समझते.
परिंदा
- धंदे में कोई
किसी का भाई नहीं कोई किसी का बेटा नहीं.
गुलाम ऐ मुस्तफा
- जान मत माँगना, इसकी बाजार में कोई कीमत नहीं हैं.
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